एक बार बहुत पहले एक गांव में एक युवक रहा करता था। और बहुत मेहनती था। और वो अपने जीवन में बहुत ही सफल व्यक्ति बनना चाहता था। परन्तु वो युवक जब भी किसी कार्य को करना शुरू करता था, तो वो कार्य थोड़ा बहुत आगे बढ़ने के बाद बंद हो जाया करता था।
इस तरह अपनी कोई कार्य में असफल होने के कारण, वो युवक बहुत ही परेशान रहने लगा था। और वो उस रहस्य का पता लगने लगा था, जिससे लोगो को सफलता मिल जाती हो।
काफी समय तक जब उस युवक को सफलता पाने का कोई रहस्य नहीं मिल पाया, तो वो एक बड़े ही आध्यात्मिक गुरु, ऋषि शुक्राट की चरण में चला गया।
गुरु शुक्राट ने उस युवक से पूछा – “बेटा तुम मेरे पास क्यों आये हो?”
उस युवक ने कहा – “गुरूजी, मैं अपने जीवन के कई कार्य में असफल रहा हूँ, इसीलिए आपके पास जीवन में सफलता पाने का रहस्य जानने के लिए आया हूँ।”
तो गुरु शुक्राट ने अपने सामने बैठे हुए कई भक्तो को देखते हुए उस युवक से कहा – “मैं तुमको सफलता पाने का रहस्य इन सभी के सामने नहीं बता सकता हूँ, मैं शाम को अकेला नदी के किनारे सैर के लिए जाता हूँ, तुम मुझे वहां आकर मिलो, तब मैं तुम्हे सफलता पाने का रहस्य अवस्य बतलाऊंगा।”
गुरु शुक्राट की ये बात सुनकर वो युवक बड़ा खुश हो गया था। और सफलता का रहस्य जानने के लिए शाम को नदी के किनारे पहुँच गया था।
जैसे ही गुरु शुक्राट नदी के किनारे आये, वो युवक तेजी से भाग कर उनके पास पहुँच गया।
और उनसे बोला – “गुरुदेव, कोई और यहाँ आ जाये, उससे पहले मुझे जल्दी से सफलता का वो रहस्य बता दीजिए।”
युवक की बात सुनकर गुरु शुक्राट ने उस युवक के कंधे पर हाथ रखा और कहा – “चुप-चाप मेरे साथ चलते रहो।”
वो युवक चुप-चाप शुक्राट जी के साथ चलने लगा।
नदी आने पर शुक्राट जी पानी के अंदर बढ़ने लगे और चलते हुए वहां जाकर रुके, जहाँ गले तक गहरा पानी था।
युवक कुछ समझ पाता, तबतक शुक्राट जी ने उस युवक का सर पकड़ कर पानी के अंदर डुबो दिया। तो वो युवक पानी से सर बाहर निकालने के लिए छटपटाने लगा।
थोड़ी देर बाद शुक्राट जी ने उस युवक का सेर पानी से बाहर निकाला। तो वो युवक हाँफता हुआ तेज तेज साँस लेने लगा।
युवक के शांत होने के बाद शुक्राट जी ने उससे पूछा – “जब मैंने, तुम्हारा सर पानी में डुबाया था, तब तुम अपना सर बाहर निकालने के लिए, इतना ज्यादा जोर क्यों लगा रहे थे?”
युवक ने जवाब दिया – “मैं साँस लेना चाहता था, इसीलिए सर बाहर निकालने के लिए, जोर लगा रहा था।”
तब शुक्राट जी ने उस युवक से कहा कि – “यही सफलता का रहस्य है, क्यूंकि जब तुम अपने किसी भी काम को अपनी सांसो की तरह अपनी जरुरत बना लोगे, उस काम में तुम जरूर सफल हो जाओगे। इसके अलावा सफलता का कोई और रहस्य नहीं है।”
तो उसी दिन वो युवक अपने गुरूजी से सीखा हुआ वो बाते हमेशा follow करने लगा और कुछ ही महीनो में वो जैसा जिस फील्ड में सफलता चाहता था वो उसे मिल गया।