Hello दोस्तों, पूरी दुनिया को छोड़ो इंडिया में तो कोरोना वायरस से कितने लाखों का जान जा चुके हैं, एक झूठ से कोविद ठीक हो सकता है। आज हम जानेंगे की ये कैसे होता है। ये एक माँ बेटे की सच्ची कहानी है, तो चलिए शुरू करते हैं –
एक इंसान अपनी गाड़ी को सर्विसिंग में देने के बाद अपने घर वापस लौट रहा था। ऑटो को बुलाया और बैठा और उसमें बैठते ही ऑटो ड्राइवर ने रियर व्यू मिरर से उस इंसान की तरफ देख रहा था। और कुछ मिनट बाद उस ऑटो ड्राइवर ने उस इंसान के साथ बात करना शुरू किया। सर जी आज कल कोविद केसेस बहुत बढ़ गए है ना, बहुत लोग मर भी रहे हैं। लेकिन वो इंसान जो ऑटो में बैठा था उन्होंने सिर्फ हाँ में हाँ मिलाई।
लेकिन ऑटो ड्राइवर कहाँ रुकने वाला था, उसने फिर से कहाँ की “मेरी माँ को भी गंभीर बीमारी हुई थी, वो कोविद की वजह से जिंदगी और मौत के बीच झूले खा रही थी, लेकिन फिर मैंने मेरी माँ को ठीक कर दिया!”
ये इंसान जो उसकी पीछे ऑटो में बैठा हुआ था, वो असल में एक डॉक्टर था और वे खुद को रोक नहीं पाया।
इस इंसान ने ड्राइवर को पूछा “मतलब आपने उसका इलाज किया ?”
ऑटो ड्राइवर ने कहा “मैंने इलाज तो नहीं किया, इलाज तो डॉक्टर कर रहे थे, लेकिन मैंने माँ को ठीक कर दिया।”
तो पीछे बैठा डॉक्टर और भी ज्यादा उत्सुकता से ऑटो ड्राइवर को पूछा “वो कैसे किया आपने?”
तो उस ऑटो ड्राइवर ने पीछे बैठा डॉक्टर जो उन्हें नहीं पता था की डॉक्टर है उससे कहा “एक झूठ बोलके, मेरी माँ जब अस्पताल में डॉक्टर के पास पहुंची तो डॉक्टर ने उन्हें देखते ही पहले दिन ही कह दिया की इनकी हालत बहुत ज्यादा गंभीर है, मैं शायद इन्हें बचा नहीं पाउँगा। तब मैंने उस डॉक्टर साहब को बताया की सर ये बात मेरी माँ को मत बताइये, आप इलाज कीजिये बाकी सब मुझ पर छोड़ दीजिये।”
उसके बाद फिर से ऑटो ड्राइवर उनकी बाते कहने लगी “पहले दिन जब मैंने माँ को वीडियो कॉल किया, तो माँ कुछ ज्यादा बोल भी नहीं पा रही थी, माँ ने सारे हथियार डाल दिए थे, उनकी जीवन जीने की इच्छा ही छोड़ दी थी, ऑक्सीजन लगा हुआ था तो क्या बोलती!”
लेकिन माँ ने रोते रोते मुझे कहा “बेटा शायद मैं नहीं बचूंगी।”
इस पर मैंने अपने दिल पत्थर रख के कहा “अरे माँ ऐसा तुम्हें लगता है, डॉक्टर ने तो कहा है की दो दिन में तो तुम्हें घर भेजने वाले हैं।” और जैसे ही मैंने ये बात माँ को बोली तो माँ को जैसे आत्मविश्वास की इंजेक्शन मिल गया हो उस बात से। उसके बाद दूसरे दिन डॉक्टर माँ को देखने के लिए पहुंचे और कोई सुधार नहीं था उनकी हालत में। लेकिन मैंने मेरा झूठ बोलना जारी रखा। मैंने दूसरे दिन फिर वीडियो कॉल से बात किया और उनको बोला की “माँ डॉक्टर ने कहा की आज तो तुम्हारा हालत कल से बेहतर है, तुम अच्छा कर रही हो।”
उस बात से माँ की अंदर जीने की जो इच्छा थी वो फिर जाग उठी, और तीसरे दिन जब डॉक्टर उसको देखने के लिए पहुंचे तो उनकी हालत में वाकई सुधार था।
डॉक्टर ने मुझे कहा “तुम्हारी माँ धीरे धीरे ठीक हो रही है, She is doing better.”
इस पर मैंने माँ से फिर से झूठ बोलना जारी रखा, बोला था “माँ, मैं नहीं कह रहा था अब ये लोग तुम्हें घर वापस जाने की अनुमति देने की सोच भी रहे हैं, बस तुम पूरी तरह से ठीक हो जाओ।”
तो इसी झूठ के सहारे धीरे धीरे करके माँ एक दिन ठीक हो गयी और घर वापस लौट आयी।
तो ये बाते ऑटो के पीछे बैठा डॉक्टर सुने जा रहा था और उसके लिए बहुत ही विचित्र अनुभव था, वो मन ही सोच रहा था की सिर्फ इमोशनल सपोर्ट और आशीर्वाद की इंजेक्शन से हम अपने अपनोको कैसे ठीक कर सकते हैं।
लेकिन फिर उस ऑटो ड्राइवर की बातों ने पीछे बैठा डॉक्टर को एक प्रसिद्ध psychologist की बात याद दिलवाई, कि “शब्द चमत्कार करते हैं।”
ऐसा नहीं है की शब्द मेडिकल ट्रीटमेंट और सर्जरी को शब्द रेप्लस तो नहीं कर सकती, लेकिन Patient के दिमाग पर वो असर छोड़ते हैं, की अगर Patient निश्चय कर लें तो वो ठीक हो सकता है। क्यूंकि आपके शरीर आपके दिमाग की ही तो सुनता है।
शब्दों में जादू घोलना हम में से हर किसी इंसान को आता है, आज तो मजा आ रहा है, अरे मुझे कुछ नहीं हुआ, आज बहुत अच्छे लग रहे हैं, आज पहले से बहुत बेहतर लग रहे हैं, मुझे ऐसा लगता है रिकवरी रेट के मामले में तो आप वर्ल्ड रिकार्ड्स बना दोगे यार, आपके सेहरे तो आज बहुत खिला हुआ लग क्या बात है, etc.
ये सारे झूठ है, एक सफ़ेद झूठ बोलके किसी का दिन बना दो वो जी उठेगा दोस्त।
हम में से हर किसी के पास वो एक्टिंग स्किल्स है बस इस जीवन नाम के Act में छोटा सा किरदार/रोल निभाना है, और फिर हम भी उस ऑटो ड्राइवर की तरह कह पाएंगे की हमने उस इंसान को ठीक कर दिया।
आप अगर किसी एक इंसान को विश्वास दिलाएंगे की वो ठीक हो जायेगा, और सब कुछ पहले जैसा हो जायेगा और वो सच में ठीक भी हो जाते हैं। तो इसमें आपसे ज्यादा ख़ुशी किसी और नहीं मिल सकता। आपमें जितना सक्षम है उतना लोगों को हेल्प कीजिये।