दो लकड़हारे

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव के अंदर 2 दोस्त रहते थे। एक का नाम था राम और दूसरे का नाम था श्याम। यह दोनों दोस्त एक ही काम करते थे और वह यह था कि वह जंगल में जाते थे, जो गांव के पास में ही एक जंगल था और वहां पर जाकर लकड़ियां काट के बेचते थे और बहुत ही अच्छे से इनकी जिंदगी चल रही थी। किसी चीज की कमी नहीं थी।

दोनों बहुत खुश थे उस दिन तक जिस दिन इनकी खुशियां इन से छीनी गई, जंगल में आग लग जाती है और जब आग लग जाती है, तो पूरा का पूरा जंगल एक राख का ढेर बन जाता है। एक भी पेड़ वहां पर ऐसा नहीं है जिसे काट के बेचा जा सके।

अब दोनों ही दोस्त पूरी तरीके से निराश हो जाते हैं।

जो श्याम होता है वह डिप्रेशन में चला जाता है, कि ”अब मैं जिंदगी में क्या करूंगा, मुझे तो कुछ और काम भी नहीं आता है कि मैं कर सकूं, सिर्फ लकड़ियां काटनी आती थी और अब लकडियाँ कहां काटे अब तो जंगल ही नहीं है, क्या करेंगे अब हम ??”

लेकिन जो राम होता है वह सोच में होता है, डिप्रेशन में नहीं होता। वह सोचता है कि अब हम क्या करें…… और वो इनका सलूशन निकाल लेते है।

अब एक दिन श्याम जो होता है वह राम के घर पर जाता है। जब वे राम के घर पर पहुँच जाता है तब राम का बेटा बाहर आता है और बोलता है ”पिताजी तो घर पर नहीं है, पिताजी तो जंगल में गए हुए हैं।”

अब श्याम को लगता है जब पेड़ ही नहीं बचे तो जंगल में राम क्या करने गए हैं। तो श्याम भी राम को ढूंढते हुए जंगल में चला जाता है, और वह देखता है कि राम वहां पर क्या कर रहा है कि वह नए पेड़ ऊगा रहा है।

वो आज पौधे लगा रहे हैं की जो कल को पेड़ बनेंगे।

तो श्याम बोलता है ”तुम पागल हो क्या ? यहां पर पूरा जंगल तबाह हो गए, हमारे पास कोई काम नहीं है करने के लिए, हम क्या करें, किस तरीके से अपना गुजारा करेंगे, यह सोच के परेशान हो रहे हैं और तुम यहां पर पेड़ लगा रहे हो….., कितने साल लगेंगे इन पेड़ों को उगने में पता भी है तुम्हें ???”

राम बोलता है ”दोस्त क्या कोई और तरीका है तुम्हारे पास, जिससे यह पेड़ वापस आ सके। जब कोई और तरीका ही नहीं है जिससे पेड़ वापस आ सकते हैं तो फिर पेड़ लगाते हैं ना मिल कर। आएंगे, जरूर आएंगे, मुझे भरोसा है।”

सिर्फ यही फर्क होता है दोस्त, जब हमारी जिंदगी में भी कभी ऐसा होता है की पूरी तरीके से सब कुछ नष्ट हो जाता है, सब कुछ खत्म हो जाता है, लेकिन कुछ लोग उन्हीं परेशानियों में आगे बढ़ जाते हैं और कुछ लोग टूट जाते हैं, निराश हो जाते हैं, डिप्रेशन में चले जाते हैं।

और जो लोग पेड़ लगाते हैं ना वह, वह आशावादी लोग होते हैं, वह positive लोग होते हैं, जो सच में कामयाब बनते हैं जिंदगी में। वजाये की कुछ भी हुआ उनके साथ कितना ही बुरा हुआ, लेकिन वो आगे बढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि एक ही सलूशन है और वो है ”आगे बढ़ते रहो, रुकना नहीं है।” क्योंकि रुका हुआ पानी और रुका हुआ इंसान दोनों ही सड़ जाते हैं।

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