“Hello Guys, मेरा नाम रोहन है। मैं कला चश्मा पहनता हूँ, क्यूंकि मैं अँधा हूँ। मैं आपको नहीं देख सकता।
मेरे चारों तरफ अँधेरा है। आज मैं आपको बताऊंगा मेरी एक कहानी को। आपको बताऊंगा की कुछ लड़की और मेरी बहन के साथ प्रैंक करने का नतीजा क्या हुआ।
आपको यह जानकर हैरानी होगी की मैं हमेशा से अँधा नहीं था। मैं सामान्य बच्चो के जैसा तेज नजरों के साथ बढ़ा हुआ, इतना भी सामान्य नहीं। मैं काफी शरारती था और मेरी शरारतों कारण हमेशा किसी न किसी मुसीबत में फस जाता था।
मेरे माता-पिता और मेरी बहन रिया हमेशा मुझे पुलिस स्टेशन से उठाते थे, जहाँ मैं शरारत के कारण पहुँच जाता था।
मैं मेरे पडोसी की बिल्ली को हरा रंग देता था। और किसी के टायर का पंचर कर देता था। मैंने तब काफी शरारतें की थी। उस समय इसमें काफी मजा आता था। मुझे ये कभी महसूस नहीं हुआ की इस शरारत की वजह से कितने लोगों को परेशानी होती होगी।
एक क्रिसमस मैंने तय किया की ऐसी आतिशबाजी करूँगा की सब लोगों को मजा आ जायेगा। जितने ज्यादा पटाखे उतना मजेदार।
तो मैंने आंगन में रॉकेट और बहुत सारे पटाखे इखट्ठे किये और उन्हें बांध दिया। ये सब चुप-चाप हो रहा था, ताकि सरप्राइज ख़राब ना हो सके। शाम को मैं उसे जलाने के आगे बढ़ा, जलाया और एक जोड़दार धमाका हुआ और मैं दूर जा गिरा।
पूरी गली-मोहल्लों ने वो आतिशबाजी देखी। ये सच में देखने जैसी बात थी। कमसे कम उन्होंने तो यही कहा था। क्यूंकि मैं देख नहीं सकता था, उस तेज रौशनी ने मेरी आँखों को जला दिया था।
मेरे माता-पिता सदमे में थे और तबाह हो चुके थे। पटाखों से नहीं डॉक्टर के कहने से। डॉक्टर ने उन्हें बताया की मैं अँधा हो गया हूँ और बड़ा होने तक कोई ठीक करने वाली सर्जरी नहीं कर सकते थे। मुझे मेरे माँ के रोने की आवाज आ रही थी, मेरी बहन के रोने की आवाज आ रही थी। ये क्रिसमस पर मेरा गिफ्ट था जो मैंने अपने आपको दिया मेरी जिंदगी बदल गयी।
मुझे हर चीज दुबारा सीखनी पड़ी। बिस्तर ठीक करना, नहाना, खाना। मेरी प्यारी बहन रिया ने मेरी काफी मदद की। मैं उसका शुक्रगुजार हूँ। मेरे माता-पिता ने मेरे हालत की वजह से मुझे स्पेशल स्कूल भेजा। उन बच्चो के साथ जिन्हें देखने में समस्या थी।
कुछ साल पहले मेरी बहन कॉलेज के लिए न्यूयोर्क चली गयी। मैं अपने माता-पिता के साथ ही था। एक दिन हमारे डॉक्टर ने हमें कॉल किया और कहाँ की एक नई टेक्नोलॉजी आयी है जिससे मेरी दृष्टि वापस आ सकती है। मेरे माता-पिता बहुत उत्साहित हो गए और कुछ ही दिनों में मुझ पर सर्जरी की गयी।
मुझे नहीं पता था ये काम करेगा या नहीं, पर मैं उसे आजमाना चाहता था। जब मेरा अनास्टेसिआ उतर गया, डॉक्टर रूम में आये और ऑपरेशन सफल रहा है। और मैं जल्द ही ठीक भी हो सकता हूँ।
मैं और मेरे माता-पिता ख़ुशी से पागल हो रहे थे। कुछ दिनों के इलाज के बाद मेरी पत्तिया खोल दी गयी। पहले सब कुछ धुंधला नजर आ रहा था। लेकिन एक हफ्ते बाद मेरी नजर वापस आ चुकी थी।
मैंने देखा की मेरे माता-पिता चिंता करते हुए कितने बूढ़े हो चुके थे। आंगन का पेड़ बहुत बड़ा हो गया था और मुझमें कितने बदलाव आ चुके थे। सब कुछ अजीब और अच्छा लग रहा था।
अगले दिन मेरे माता-पिता ने मुझे न्यूयोर्क में रिया के घर भेज दिया। मैं मेरी बहन को मिलने का इंतजार नहीं कर पा रहा था। मैंने अपने माँ-बाप से कहाँ की अभी रिया को ये बात ना बताये, की मैं सब कुछ देख सकता हूँ।
मैं उसे प्रैंक करना चाहता था। ये मजेदार बात होगी। जब मैं न्यूयोर्क पहुंचा तो रिया मुझे ट्रैन स्टेशन पर लेने आयी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रास्ते से लेकर जाने लगी। मैं देख सकता था की उसका चेहरा बदल गया है।
वो मेरा हाथ पकड़ कर चल रही थी, उसे पता नहीं था की मैं सब कुछ देख सकता हूँ। ये काफी कूल था। रिया मुझे उसके रूम में लेकर आयी। मैं अपना चश्मा उतार कर चिल्लाने ही वाला था, तभी कुछ लड़कियां रूम में आयी। वो रिया की सहेलियां थी।
उसने हमे introduce किया। लड़कियां मुझे छू कर कहने लगी की कितना हैंडसम है ये। अफ़सोस की तुम अंधे हो। फिर एक अजीब बात हुई मेरी बहन की सहेलियां कपडे बदलने लगी, उन्हें कोई शर्म नहीं आयी, क्यूंकि वो सोच रही थी की मैं देख नहीं सकता।
पर मैंने सब कुछ देख लिया। ये मेरी जिंदगी की सबसे बढ़िया चीज थी। मैंने तय किया की मैं रिया को नहीं बताऊंगा की मेरी ऑंखें वापस आ चुकी है। मेरी जिंदगी का जादुई समय शुरू हो चूका था।
रिया मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ती थी। वो मुझे हमेशा साथ में रखती थी। और क्यूंकि वो हमेशा अपनी सहेलियों के साथ रहती थी, मैं भी लड़कियों से घिरा हुआ रहता था। मैं उनके लिए एक सॉफ्टटॉय की तरह था। ये मुझे अच्छा लग रहा था।
मैं उनकी डांस प्रैक्टिस में भी गया था और उसके बाद वो सभी नहाने चली गयी, मैं भी हिम्मत जुटाकर उनके साथ चला गया, मुझे यकीन था की वो मुझे बाहर निकाल देंगे, पर उन्होंने वैसा नहीं किया।
उन्होंने मुझे वहां बैठ कर इंतजार करने को कहा। मैं वहां बैठ कर उन लड़कियों को अपने चश्में के अंदर से देख रहा था और उन्हें ये पता भी नहीं चला की मैं उन्हें देख कर ख़ुशी से मुस्कुरा रहा हूँ।
पर एक दिन मेरी ये कहानी खत्म हो गयी।
एक शाम रिया को माँ से कॉल आया और उन्होंने पूछा तुम्हें रोहन का सरप्राइज कैसा लगा। उसे कुछ समझ नहीं आया, और माँ ने रिया को कहा की मैं अभी देख सकता हूँ।
बापरे मैंने रिया को कभी इतने गुस्से में नहीं देखा था, वो मुझ पे चिल्ला रही थी, की तुम अपने बहन के साथ ऐसे प्रैंक कैसे कर सकते हो, उसने पूछा की मैंने इतने दिनों तक ये बातें क्यूँ छुपा कर रखा था। मुझे मानना पड़ा की मैं उसके सुंदर सहेलियों से ऑंखें नहीं हटा पा रहा था। वह हँसी और मुझे ख़ुशी से गले लगा लिए। और कहा की तुम एक बुद्धू हो और तुम्हारा आना मुझे अच्छा लगा। तुम्हें जो देखना है देखो।
मैंने रिया से कहा की फ़िलहाल उसके दोस्तों को ये बातें ना बताये। और ये सीक्रेट ऐसे ही रहने दें। रिया बहुत हँसी और कहा तुम छोटे शैतान हो, ठीक है मैं तुम्हारा सीक्रेट बरक़रार रखूंगी।
तो मैं फिर से मेरी बहन के दोस्तों के साथ घूमने लगा। हम साथ में वाटर पार्क, gym और बीच पर भी गए। मैं उन्हें कहता था की मुझे अकेले डर लगता है। इसलिए वो मुझे हमेशा साथ रखते थे। और मैं उनपर नजर रखता था।
एकदिन हम सब पिकनिक पर गए। हमने साथ खाना, टॉवल, कोल्ड्रिंक्स और बास्केटबॉल भी लाये थे। मैं एक अच्छा समय बिताने के इंतजार में था, उन सुंदर लड़कियों के साथ समय अच्छा जा रहा था।
हमने एक खूबसूरत लॉन चुना और खेलने लग गए। मैं भी खेलने लगा और लॉन में भागते हुए लड़कियों से जानबूझ करके टकरा जाता।
मुझे उन पर गिरना अच्छा लग रहा था। और फिर मैं उनसे माफ़ी मांग लेता था। उन्हें जरा भी शक नहीं था और वे हसते हुए खेलना जारी रखती थी। मैं थोड़ा ज्यादा ही खेलने लग गया था और मैंने ध्यान देना बंद कर दिया।
अचानक मैं एक पत्थर पर जा टकड़ा और पेड़ पर जा गिरा। सब कुछ इतनी जल्दी हो गया की मैं मेरे हाथों से खुद को संभाल भी नहीं पाया और मेरा चेहरा एक पेड़ से टकड़ा गया। इस झटके से मेरा चश्मा टूट गया और अँधेरा फैल गया।
मुझे लड़कियों की चींखे सुनाई दी। मेरी बहन रो रही थी। मैंने महसूस किया की कोई मुझे उठाकर मुझे कही ले जा रहा है। मुझे याद है की गाड़ी बहुत तेज चल रही थी। मुझे डॉक्टरों की आवाजे सुनाई दी, मैं कुछ देख नहीं पा रहा था।
मुझे उस चश्मे की नुकीली कांच ने मेरी आँखों की चोट पहुंचा दी। मुझे कोई दर्द भी महसूस नहीं हुआ। मैं जो हो रहा है उससे सदमे में था। मुझे हॉस्पिटल में फर्स्टऐड दिया गया। और मुझे दुबारा अपने शहर भेज दिया गया।
मैं मेरी माता-पिता के चिंता भरी आवाज को सुन पा रहा था। मेरी माँ रो रही थी और मेरे पिता उन्हें शांत रहने के लिए कह रहे थे। वो पूछ रहे थे ये कैसे हुआ और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था की मैं फिर से कुछ नहीं देख पा रहा हूँ।
अगले दिन हम दुबारा उस डॉक्टर से मिलने चले गए, जिन्होंने मेरा ऑपरेशन किया था। उसने मेरी ऑंखें देखि और कहाँ की मैं फिर से अँधा हो गया हूँ और इस बार हमेशा के लिए।
मेरे माता-पिता रोने लग गए, पर मैं शांत था। उस शाम मेरी माँ के शीने में दर्द होने लगा, मेरे पिता ने एम्बुलेंस को कॉल किया। डॉक्टर्स बोल रहे थे की ये हार्ट अटैक था। और मेरी माँ को अस्पताल ले जाया गया।
मैं रोना चाहता था पर मैं रो नहीं पाया। क्यूंकि ये मेरी गलती थी। अगर मैं पटाखों से नहीं खेलता, अगर मैं अंधे होने का नाटक नहीं करता तो ये सब नहीं होता। अभी मुझे समझ आ रहा है की अपने प्रियजनो को मेरे प्रैंक से कितना दुःख पहुंचा।
मैं सब ठीक करना चाहता था पर कुछ नहीं कर सका। मैं सिर्फ ये प्रार्थना कर सकता था की मेरी माँ ठीक हो जाये, उस दिन मैं अपने आपसे वादा किया की अब कभी भी ऐसे बेवकूफी वाली जोक्स वापस नहीं करूँगा।
तो ये थी मेरी कहानी। अब आपको पता चला की पागलपनों वाली हरकतें कहाँ पहुंचाती है। उसका दर्द और परेशानी जो हमारे प्रियजनों को होती है, ये शर्म की बात है की आपको ये बहुत देर से समझ आती है।
भले ही मैं देख नहीं सकता, लेकिन मैं जान सकता हूँ आप क्या सोच रहे हैं, आपको शायद वो सारी बातें याद आती होंगी जो शायद आपको उस समय नहीं करनी चाहिए थी।
वो काम जिनसे अपने परिवार और दोस्तों को तकलीफ हुई। मैंने अपनी सारी गलतियां बता दी है।” क्या आपके लाइफ में ऐसे कुछ दर्दनाक स्टोरी हुई है या आप किसी और के स्टोरी जानते हैं तो हमे मेल पर भेज सकते हैं।