सबसे महान ज्ञान

कहानी की शुरुवात होती है एक बिजनेसमैन से, जो अपने बिज़नेस को लेकर काफी चिंता किया करते थे की क्या होगा आने वाले कल में, कैसे मेरा बिज़नेस आगे बढ़ेगा, आगे चलकर मेरा बच्चा संभाल पायेगा या नहीं संभाल पायेगा।

उनका एक बेटा था, वो लड़का काफी बार कहता था की पापा मुझे मौका दो, मुझे भी बिज़नेस करना आ गया, मुझे भी एक बार आपका बिज़नेस संभालने दो।

लेकिन वो बिजनेसमैन कभी भी अपने बेटे को एक बार भी मौका नहीं दिया।

एक दिन उस बिजनेसमैन को हार्ट अटैक आया, और हार्ट अटैक की वजह से होस्पिटलाइज हुआ, बच्चा दौर करके हॉस्पिटल पहुंचा और देखा की पापा एडमिट हैं।

डॉक्टर्स ने बोला कि अब पहले से थोड़ा ठीक है, धीरे-धीरे रिकवर होंगे।

इस लड़के ने अपने दोस्त को कॉल किया कि भाई तू आजा इस हॉस्पिटल में, मेरे पापा एडमिट है।

कुछ देर बाद उनका दोस्त आ गया, उसने पूछा क्या हो गया, कैसे हुआ, ऐसा कुछ सारी बात हुई।

उसके बाद ये जो बिजनेसमैन का लड़का था इसने अपने दोस्त को कहा कि चल अब बाहर चल के आते हैं, बहुत देर हो गए इधर।

अस्पताल से जब बाहर निकले तो उनको एक आइसक्रीम वाला दिखाई दिया।

बिजनेसमैन की लड़के ने कहा कि भाई चल आइसक्रीम खाते हैं।

वो जो उनके दोस्त था वो चौंक गया कि इसके अंदर ये पागलपन चल रहा है, पापा अंदर भर्ती है और इनको आइसक्रीम खाना है।

दोनों ने आइसक्रीम खरीदी और उसके बाद खाने लगे।

तो वो जो दोस्त था उसे रहा नहीं गया, उसने पूछ ही लिया कि भाई समझ नहीं आ रहा की तुम्हारे बिज़नेस का क्या होगा आने वाले कल में, तेरे पापा एडमिट हो गए हैं, तबियत ठीक नहीं है, हार्ट अटैक हुआ है और तू यहाँ आइसक्रीम खा रहा है मजे से। मुझे समझ ही नहीं आ रहा है!

तो वो जो बिजनेसमैन का लड़का था उसने जो बात कही वो सुनकर उनके दोस्त चौंक हो गए, उन्होंने कहा – “मुझे मालूम है कि मेरे पापा एडमिट है, और मैं आइसक्रीम खा रहा हूँ, मजे में। नहीं ! मैं भगवान श्री कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त हूँ और उनकी दो बातें हमेशा जिंदगी में याद रखता हूँ।”

उन्होंने फिर से कहा –
“पहली बात जो हम सबको मालूम है कि कर्म करना है, लेकिन फल की चिंता नहीं करनी है, जो होगा देखा, मैं अपने काम पर फोकस करूँगा और हमारा बिज़नेस भी अच्छा चलेगा।

दूसरी बात मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ समझ में आ जाएगी –

भगवान श्री कृष्ण जी की जो पत्नी थी माँ रुक्मिणी। जब उन दोनों का विवाह हुआ तो उसके बाद जो इनकी पहली संतान थी उसका नाम प्रद्युम्न था।

और प्रद्युम्न के जन्म के 10 दिन बाद ही प्रद्युम्न अपहरण हो गया, छोटे बच्चे को किसी ने चुरा लिया।

माँ रुक्मिणी नाराज रहने लगी, उदास रहने लगी कि क्या हो गया है, क्या मुझे मेरा बच्चा मिलेगा!

तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि चिंता मत करो प्रद्युम्न ठीक होगा, जहाँ भी होगा, तुम स्वस्थ रहा करो, मस्त रहा करो।

लेकिन इसी चिंता में माता रुक्मिणी के साल बीतते गए।

18 साल के बाद में प्रद्युम्न की वापसी हुई और जब प्रद्युम्न द्वारका वापस आये तो उनके साथ में उनकी पत्नी मायावती थी।

समस्या ये थी कि जो मायावती थी उसकी उम्र 20 साल ज्यादा थी प्रद्युम्न से।

माँ रुक्मिणी पहले तो बहुत खुश हुए की बच्चा आ गया, फिर दुःखी हुई कि इतनी बड़ी लड़की से शादी करके आ गया।

तब माँ रुक्मिणी भगवान श्री कृष्ण के पास गया और जाकर कहने लगी कि ये क्या हो गया है।

भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जो हो गया है उसको स्वीकार कर लो, चिंता मत करो।

लेकिन माँ रुक्मिणी कह रही थी कि इतनी बड़ी उम्र की लड़की से शादी करने की क्या जरुरत थी, क्या और लड़की नहीं मिली थी, ऐसी बहुत सारी बातें बोल रही थी।

माँ रुक्मिणी स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी, उदास हुए जा रही थी, दुखी हुए जा रही थी, एक साल, दो साल, समय बीत रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर वो बातें माँ रुक्मिणी को चोट दिए जा रही थी।

8 साल के बाद में माँ रुक्मिणी जी ने स्वीकार कर लिया कि प्रद्युम्न ने जो शादी करी वो ठीक है, ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है, उस शादी को उन्होंने स्वीकार कर लिया।

एक तरीकेसे माँ रुक्मिणी ने अपनी जिंदगी के 26 साल उदासी में बिता दिए।

लेकिन जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने माँ रुक्मिणी को खुश रहने और उदासी को छोड़ने, मस्त रहने के लिए बोला था, अगर माँ रुक्मिणी ने उसी दिन से ख़ुशी और मस्त रहने लगे तो वे 26 साल ख़ुशी से रह सकता था।”

ये कहानी खत्म करते हुए उस बिजनेसमैन के बेटे ने अपने दोस्त को बोला कि भाई मैंने भी जिंदगी में स्वीकार करना सीख लिया है।

उन्होंने फिर से बोला क्यूंकि भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि “जो हो रहा है उसको स्वीकार कर लो, जिंदगी अपने आप में ही सहज हो जाएगी।”

दोस्तों ये कहानी हमें दो बहुत बड़ी बातें सीखाती है –

जिंदगी कभी रुकता नहीं है, आगे चलता ही रहता है, जिंदगी में जो हो रहा उसको स्वीकार कर लो, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।

कर्म किये जाओ, फल की चिंता मत करो। जो 1000% सच है।

हरे कृष्ण ! राधे राधे !

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